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कोई एक दीवाना

मुद्दत बाद ए दोस्त भेजा उसने मेरे नाम इश्क़ ए पैगाम।
गुजर गया वो जमाना कभी याद करते थे उनको सुबह शाम।।
न मै बेवफा थी न वो बेवफा था बेवफा था ए ज़ुल्मी जमाना।।
सोचा था मुकद्दर साथ देगा ए दोस्त निकला वह भी बेगाना।।
कुदरत के तमाशा तो देखिए मै कहाँ आज वो कहाँ
सूखे पत्तों पे मेंहदी के रंग चढाने चले है फिर कोई एक दीवाना।।

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