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कोई तो दे दो वजह जीने की…..

कोई तो दे दो वजह जीने की

वरना मत पूछो वजह पीने की।

दर्द अब आ गया है सहना तो

क्या जरुरत है जख्म सीने की।

मेरी खता नहीं तो कैसी सजा

बात कुछ तो करो करीने की।

कोई कह दे कि याद करते हैं

आग बुझ जाये कुछ तो सीने की।

न गले लग के अब मिले हमसे

न फिर आई महक पसीने की।

———सतीश कसेरा

 

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