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कोन गुनह के सजा म

कोन गुनह के सजा म

कोन गुनह के सजा म , जेमा आज धंधागेंव मय |
रिस्ता नत्ता जाने कोन , बंधन म बंधागेंव मय ||

कोन घड़ी कोन पल रिहिस , जेमा हाँथ ले हाँथ छुटिस हे |
काबर नई करय तय चेत प्रभु , जब मया के तार टूटिस हे ||
ओकर बिन नई सोंचव एक पल , जेहा कैसे धुरियागे |
गुड़ के पागे लाड़ू कस , छितिर बितिर छरियागे ||
न बासी न दूध खीर , चिभरी भात रंधागेंव मय ………………
कोन गुनह के सजा म ,जेमा आज धंधागेंव मय………………

पारा बस्ती कले चुप सब , मीटकहा घर बन होगे |
संग संगवारी मारे ताना , जीना खाना तंग होगे ||
अतका दिन बछर मय ह , कइसे जियत रहिगेंव |
आंखी के पुतरी ले बिछुड़ के , कइसे पीरा सहिगेंव ||
न येति न ओति के ,पिंजरा म धंधागेंव मय…………………….
कोन गुनह के सजा म , जेमा आज धंधागेंव मय………………

घाम अइस बादर अइस , दिन महीना अउ साल होगे |
हर मौसम म दुःख पीरा , अइसन बाराहाल होगे ||
बने हिरदे के बगिया ह , पल म जौंहर होगे |
घर गुंदिया कस बिरवा ह , संग म जर जर होगे ||
घानी के बइला कस , गर ले आज फँदागेंव मय………………….
कोन गुनह के सजा म , जेमा आज धंधागेंव मय………………..

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