महफ़िलों से डरने लगे हम,
कोरोना का जबसे हुआ है सितम
महकती थी जिन लोगों से ज़िन्दगी,
उनसे अब मिलना हुआ है कम
कम क्या, समझो बंद ही हो गया,
कोरोना तेरा बहुत सितम हो गया
तेरे ना जाने का अब तो गम हो गया
टीका आने की राह देखते-देखते,
मौसम भी देखो नम हो गया
कोरोना, तुझे माफ़ करे ना ये दुनियां,
तू परेशानी का सबब हो गया..
*****✍️गीता