महामारी का दौर यह कैसा आया ,
वक़्त ने सबको बेबस बनाया ,
कुदरत ने इस धरती को बहुत खूबसूरत बनाया ,
पर इन्सान इस नेमत को सम्भाल ना पाया ,
तो महामारी ने आकर इसका मोल बताया ,
कुदरत ने हर साधन अपार मात्रा मे बनाया ,
पर इन्सान के लालच का अंत ना हो पाया ,
तो बीमारियों की आड़ में सबको फंसाया ,
कुदरत बार-बार करती है इशारा ,
पर इन्सान अपनी ही धुन में चलता आया ,
तो आपदाओं के रूप में आकर समझाया ,
महामारी का दौर यह कैसा आया ,
इन्सान ने ही खुद को बेबस बनाया।
Suggestions are highly appreciated.