कोहिनूर Abhishek kumar 4 years ago कभी हीर ने मुझे राँझा कहकर पुकारा था, इश्क़ मे मैने खुद को हीरे- सा तराशा था। दुनिया की खातिर वह तो मुझे ठुकरा गये, जीते जागते इन्सान को पत्थर-सा बना गये। कौन यहाँ इस पत्थर को अब भगवान मानता है, तू भी तो नही कोहिनूर की कीमत को जानता है।