कौन सा दर्द सुनाया जाए……….
नींद को ढूंढ के लाया जाए
चलो कुछ देर तो सोया जाए।
जल गई इंतजार में आंखें
अब जरा अश्क बहाया जाए।
आ के फिर बैठ गईं हैं यादें
कौन सा दर्द सुनाया जाए।
हमने जाना है दर्द जलने का
इन चरागों को बुझाया जाए।
रात को टूटेंगे कितने तारे
ये जमीं को भी बताया जाए।
अपनी तकदीर में रोना है अगर
सबको हंस-हंस के बताया जाए।
~~~~~~~~~~~सतीश कसेरा