सुबह सुबह में
इतना चहचहाती हो,
क्या बात करती हो
बताओ ना,
कहीं इंसान की बातों
की कोई बात करती हो,
या मिलने-बिछुड़ने का कोई
जज्बात रखती हो।
बताओ ना।
भूख की प्यास की
आवास की
रोजगार पाने की
बताओ ना कि
क्या क्या बात करती हो।
मुहब्बत की मिलन की
या वफ़ा-बेवफा की
हानि की या नफा की
खुशी की या खफा की,
बताओ ना।
क्या बात करती हो।