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क्यूं इतना वैमनस्य बढ़ा है ??

क्यूं इतना वैमनस्य बढ़ा है ??
दिल में बम-बारूद भरा है..
मुँह से तो बोले मीठा-मीठा
मन में कितना पाप भरा है
लुटा दी हमनें प्रेम की गागर
फिर क्यों मन में जहर भरा है
जान-बूझकर मुझको वह
महफिल में रुसवाकर रहा है
तिनका-तिनका जोड़ के हमनें
प्यारा-सा आशियां बनाया
वह कौन है जो मेरी छाती को
चाकू से खदखोर (कुरेदना) रहा है !!

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