क्यों गरीबी की चादर में पैरों को फैलाना पड़ता है राही अंजाना 6 years ago क्यों गरीबी की चादर में पैरों को फैलाना पड़ता है, क्यों चन्द ख़्वाबों को इस दिल में दबाना पड़ता है, खेल-खिलौने गुड़िया गुड्डे और वो रेलगाड़ी छोड़कर, क्यों रात दिन इस बचपन को रिक्शा चलाना पड़ता है।। राही (अंजाना)