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क्यों चली जाती हो ” रहस्य “

रोज मेरे ख्वाबो में आकर क्यों चली जाती हो।
पास ना होके दूर से सता के क्यो चली जाती हो।।
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जब्बभी सोचता हूँ कुछ पल सोलू रातो को।
आके यादों में निंद चूरा कर क्यों चली जाती हो।।
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बेखबर हो तूम मेरी सपनो कि उस दुनिया से।
हर बार दिल में दस्तक देकर क्यों चली जाती हो।।
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रोज मेरे ख्वाबो में आकर क्यों चली जाती हो

” रहस्य ” देवरिया

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