क्यों छोटी -छोटी बातों को बड़ा बनाते हो?
भोली-भाली जनताओं से बगावत कराते हो।।
क्या कभी जनताओं को सत्य से रुबरू कराते हो?
कोड़े कागज पर दस्तखत से पहले शर्त समझाते हो?
फिर क्यों छोटी -छोटी बातों को बड़ा बनाते हो?
जनताओं को हथियार की तरह इस्तेमाल मत करो।
भारी पलड़ा से उठा -उठा कर अपनी जेब मत भड़ो।।
हल्के को भारी करने का क्या यही एक तरीक़ा है?
दंगा और बगावत फैला कर जीवन का रंग फीका है।।
जब हर बात बात में कानून बतियाते हो।
फिर क्यों छोटी छोटी बातों को बड़ा बनाते हो?