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कफ़न का ही इन्तिजाम

कफ़न का ही इँतजाम कर दो |
दो गज की जमीं नाम कर दो |

दफन कर के मुझको जमीं में |
मुझे गुल से गुलफाम कर दो |

चलें आयेंगे देखने मुझको |
ये मैय्यत सरे – आम कर दो |

कतारों में जिन्नाद होंगे |
मुझे तुम जो हअमाम कर दो |

मेरे सर पे ‘ इनाम रख कर |
मुहब्बत सरे – आम कर दो |

तमाशा बना कर रखा क्यूं |
अगर चाहो गुमनाम कर दो |

भटकती मेरी रूह को तुम |
किसी का भी गुलआम कर दो |

मुहब्बत ‘ का इनाम देना |
मेरे सर पे इनाम कर दो |

ए अरविन्द ये खाक उड़कर |
मुझे इश्के – खैय्याम कर दो |
__________कुमार अरविन्द

गुलफाम – फूलों के समान रंग वाला ,
जिन्नाद – भूत प्रेत , हमाम – इत्र
इश्के खैय्याम – इश्क का नशा करने वाला

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