खलिश जितनी भी है Satish Chandra Pandey 4 years ago खलिश जितनी भी है सारी उड़ेलूं सोचता है मन, मगर प्रसन्नता की राह तो यह भी नहीं पक्की। चलो छोड़ो भी जाने दो न आये नींद आंखों में मगर कुछ चैन पाने को जरूरी है जरा झपकी।