खामोशियां NIMISHA SINGHAL 5 years ago बाहर कितनी खामोशी है अंतर्मन द्वंद सा मचा कहां? चेहरा हंसता सा दिखता है आंखों में नमी, दुख छुपा कहां? जीव्हा कुछ ना कुछ बोल रही शब्दों में फिर वो रवानी कहां? तुम भी जी रहे हम भी जी रहे हैं अरमानों का कत्ल फिर हुआ कहां ? निमिषा सिंघल