शब्द छलकते रहते है
अनवरत
आँखों से |
और मैं
उन्हें श्याही बना कर
भरता रहता हूँ
कोरे कागजो का
खालीपन |
-Bhargav Patel (अनवरत)
शब्द छलकते रहते है
अनवरत
आँखों से |
और मैं
उन्हें श्याही बना कर
भरता रहता हूँ
कोरे कागजो का
खालीपन |
-Bhargav Patel (अनवरत)