Site icon Saavan

खियांबा में खुशबू है

इस्बात क्या है
कि इश्राक हो गया है
खियांबा में खुशबू है
अहसास हो गया है।
गुमसुम मुहब्बत है
गिर्दाब चल रहा है
ग़मग़ुस्सार है नहीं
बस जूनून चल रहा है।
जाबित बहुत है मन
फिर भी पिघलता है
जर्ब दे वो कितना
फिर भी तो भरता है।
ताक में तसल्ली है
कभी मन हंसेगा
नक्बत विदा होगी
कभी मन खिलेगा।

Exit mobile version