खिसक रहे थे जो सपने Abhishek kumar 4 years ago उनकी आहटों पर फिर फिसला मेरी तमन्नाओं का हार है खिसक रहे थे जो सपनें आज हाँथ में आया वही लम्हात है….. प्रेम-पिपासु हूँ जी भर के पिला दे साकी टपक रही जो तेरे होठों से शराब है…