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खिसक रहे थे जो सपने

उनकी आहटों पर फिर फिसला
मेरी तमन्नाओं का हार है
खिसक रहे थे जो सपनें
आज हाँथ में आया वही लम्हात है…..
प्रेम-पिपासु हूँ जी भर के
पिला दे साकी
टपक रही जो तेरे
होठों से शराब है…

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