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खुद को ही खुद से मैंने जुदा कर दिया।

खुद को ही खुद से मैंने जुदा कर दिया।
इक इंसान था जिसे हमने खुदा कर दिया।।
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मुक़म्मल होने में लगे थे हमको कई साल।
मगर तुमने मुझे पल भर में धुंआ कर दिया।।
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जिंदगी मेरी तजुर्बो से आसान कहाँ हुई थी।
मुझे तो बस चंद मुश्किलो ने रवां कर दिया।।
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इक इक लम्हा गुजरा है हम पर सदियो सा।
मुलाकातों के नाम पे बस तुमने दुआ कर दिया।।
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अश्क़ जब पूँछते है अपने बेअसर होने का सबब।
फिर क्या कहें की खुद को कहाँ से कहाँ कर दिया।।
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इक सच है हमारा रातों को यूँ ही जागते रहना।
पर ऐसा भी नहीं की हमने नींदों को मना कर दिया।।
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साहिल जवाब ढूंढ़ने में यूँ ही दर ब दर होते रहें।
ज़िन्दगी से जिंदगी को पूँछा क्या गुनाह कर दिया।।
@@@@RK@@@@

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