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खुशियों की दुकाने भरने की खातिर

खुशियों की दुकाने भरने की खातिर,
दर्द की तस्वीरें खरीदी जाती हैं,
खुद की तारीफों के पन्ने भरने को,
क्यों सरेआम न्यूज़ बटोरी जाती हैं।।
राही (अंजाना)

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