खाली क्यों हो सोचते, उल्टी बातें आप।
चाहत को नफरत समझ, क्यों लेते हो पाप,
क्यों लेते हो पाप, मुहब्बत पुण्य काम है,
जो रखता है नेह, वही सच में महान है।
कहे लेखनी आप, रहो खुश पीटो ताली,
चिंता में मत रहो, इस तरह खाली खाली।
———- डॉ0 सतीश चंद्र पाण्डेय, चम्पावत, उत्तराखंड।