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खोते अपने

जिसे अपना मानते आये
हर बात पर,
नुक्श निकालने को आमदा ,
देखते ही देखते
ये कैसे बेगाना हुआ ।
दर्द जब हद से बढ़ा
दिल पर बोझ बढने लगा
बोझिल सा यह मन
अश्क पलकों को भिगोने लगा
देखते ही देखते
ये कैसे बेगाना हुआ ।

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