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ख्वाबों की बेवफाई

हम तो ख्वाबों की चौखट पर बैठे थे ,
लेकर हसीन ख्वाब …
प्यारी आँखों के परदे पर ||

ख्वाबों को ख्वाब बनाने ,
आया एक मुसाफिर ,
रख दिया ख्वाबों को ,
उसने जलती आग पर ||

कोशिश बहुत की ,
ख्वाबों की नमी जोड़ने की ,
पर मेरे ख्वाब भी मनचले निकले ,
चल दिए …….
सवार हो धुएं पर ||

अफ़सोस, धुआँ भी तो आग का है ,
ना उम्मीद है बादल की ,
ना ही उम्मीद है बारिश की ,
अब इस बंजर जमीं पर ||

उठ … चल दिए है चौखट से ,
ना ही गुस्सा है ,
ना ही उम्मीद है ,
अब उन उजड़े ख्वाबों से…
नमी सी है यादों की ,
कुछ धुंधली तस्वीरें है आँखों पर ||

बस धड़कने बढ़ रही है ,
भरोसा जो टुटा है ख्वाबों पर ||

चल दिए है ख्वाब ….
मनचले कदमो से ,
बस बेवफाई की उम्मीद बैठी है ,
इन बची साँसों पर ||
~ सचिन सनसनवाल

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