Site icon Saavan

ख्वाब

कुछ ख्वाब जिन्दगी में
हमेशा अधूरे रह जाते हैं।

अरे दूसरों को क्या समझाऊ मैं,
अपने ही समझ नहीं पाते हैं।

अरे हमसे भी तो पूछ कर देखो,
हम क्या चाहते हैं।

“सुखबीर” जो अपने विचार प्रगट नहीं करते,
वह जीते ही, मर जाते हैं।

Exit mobile version