खुली आँखों का ख्वाब जरूर मुकम्मल होता है।
नींद में दिखा ख्वाब तो, याद भी ना कल होता है।
ज़िद है, ख्वाब पूरे होंगे अपने एक दिन यकीनन,
खुद पर यकीन रख, फिर मन क्यों बेकल होता है।
भाव का कद्र तो उसे पता, जिसने अभाव देखा हो,
उसके प्रभाव से ही दुनिया, उसका क़ायल होता है।
घमासान जंग छिड़ी है, जिंदगी और मेरे दरम्यान,
देखें कौन सूरमा होता है और कौन घायल होता है।
आओ आज को जी भर जी लें, कल किसने देखा,
आज को ना खो दें, अनमोल हर एक पल होता है।
देवेश साखरे ‘देव’