ख्वाहिश Ashmita Sinha 6 years ago तेरे कलाम में हर पहर पढ़ती रहती हूं तेरी हर नज्म में खुद को ढ़ूढती रहती हूं इक चाहत थी कि तुझसे किसी दिन मिलूं इसी ख्वाहिश में हर लम्हा गुजरती रहती हूं|