नारे फिर लगाना
शक्ल देखो गौर से मेरी,
मुल्क का आक़िबत हूँ
आज हालत है बुरी मेरी।
खड़ी बेरोजगारी है
सामने पर स्वयं देखो
लगा नारे मेरे कानों में
यूँ पाषाण मत फेंको।
शब्दार्थ –
आक़िबत – भविष्य
पाषाण – पत्थर
नारे फिर लगाना
शक्ल देखो गौर से मेरी,
मुल्क का आक़िबत हूँ
आज हालत है बुरी मेरी।
खड़ी बेरोजगारी है
सामने पर स्वयं देखो
लगा नारे मेरे कानों में
यूँ पाषाण मत फेंको।
शब्दार्थ –
आक़िबत – भविष्य
पाषाण – पत्थर