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गजल- खुबसुरत ख्वाब हो |

गजल- खुबसुरत ख्वाब हो |
मेरे इश्क ए सफर का तुम जवाब हो |
मेरे महबूब तुम एक खुबसुरत ख्वाब हो |
सिवा तेरे किसी की चाहत न रहीं अब |
बागो बहारों का तुम खिलता गुलाब हो |
नहीं कोई तुझसा हसीन कोई जमाने मे |
पहली शुबह का उगता तुम आफताब हो |
लाखो पैमानो का नसा तेरी आंखो मे है |
ताउम्र कभी उतरे न तुम वो शराब हो |
तब्बसुम तेरा होठो कलिया शर्मा जाये |
हुश्न ए जन्नत हूरों तुम खूब शबाब हो |
हंसी ऐसी तेरी जैसे तर्र्नुम झरनो का |
भूल न पाये जिसे तुम वो एहसास हो |
दिल लगाया तुमसे क्या गुनाह किया |
जान बन गई जिंदगी की तुम सांस हो |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

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