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गजल

मधुमास बिगत माधव बड़ आयल।
नवल हास परिहास जग छायल।।
फूल खिलल बगिया में देखू
आमक गाछी टिकुला सॅ छायल।
कटहर कोचरल जामुन मजरल
गन्ध सुगन्ध चहुदिश छायल।।
“पिया -पिया “जौं पपिहा बाजय
झणिक उठल झणि पायल।
‘विनयचंद ‘ई गजल सुनाय
भेल मधुआ कें कायल।।

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