गजल Pt, vinay shastri 'vinaychand' 4 years ago मधुमास बिगत माधव बड़ आयल। नवल हास परिहास जग छायल।। फूल खिलल बगिया में देखू आमक गाछी टिकुला सॅ छायल। कटहर कोचरल जामुन मजरल गन्ध सुगन्ध चहुदिश छायल।। “पिया -पिया “जौं पपिहा बाजय झणिक उठल झणि पायल। ‘विनयचंद ‘ई गजल सुनाय भेल मधुआ कें कायल।।