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गजल

“गजल”

चलो इक बार हम एक दुसरे में खो कर देख लें
चलो इक बार हम एक दुसरे के होकर देख लें !

बिताएँ है बहुत लमहा अजाब-ए तन्हाई के हम
चलो हरेक पल को फिर से संजो कर देख लें !!

है टूटी प्रीत की माला कि बिखरे है सभी मोती
चलो एक बार मिल के मोतियाँ पिरोकर देख लें!

बहुत बेताब है रोने को आँखे दिल तडपता है
चलो जी भर गले मिल इनको भिंगोकर देख लें!!

उपाध्याय…

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