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गफलत

जो भी जी में आए फेकिए जनाब
तवा पे अपनी रोटी सेकिए जनाब

गाय के नाम पे इंसानों को बाँटिए
फिर तमाशा गौर से देखिए जनाब

बाकी सब को भुला दीजिए आप
बस खुद का नाम लिखिए जनाब

गधों की रेस है हर पाँचवे साल
आप सबसे तेज़ रेंकिए जनाब

बड़ा मुश्किल है बिना इसके जीना
कब्र पे भी एक कुर्सी टेकिए जनाब

सलिल सरोज

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