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गम

गम भी क्या चीज है
जो इतनी कविताएं लिखवाता है मुझसे
किसी की वेबफाई पर
मुझे कवि या
कवि सा बना देता है।
नित नया दर्द उभर कर,
मेरी पंक्तियों में शामिल हो जाता है।
भीतर का दर्द
बाहर उगलवाता है।

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