Site icon Saavan

गरीब की दीवाली

गरीब के घर में झांकीए
कैसे मनाते है निर्धन दीवाली।
मन में उमंगों की पटाखे फोर कर
निर्धन ऐसे मनाते है दीवाली ।।
दीया है बाती है मगर तेल नहीं
लाला भी आज उधार देगा नहीं।
मन में ख्वाईशें तो थी अनेक
चलो यह वर्ष न सही अगले वर्ष ही सही।।
मुनिया की मम्मी मुनिया के
पुरानी कपड़े धो देना क्योंकि,।
आ गयी है इस वर्ष की दीवाली।।

Exit mobile version