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गरीब हूँ पर मुझे अधिकार चाहिए।

अब मुझे मेरी जिन्दगी या श्मशान चाहिए!!
गरीब हूँ मालिक मुझे मेरा सम्मान चाहिए ।
मै रोता रहता हूँ अमीर के अत्याचारो से,धिन जाती है मुझे अपने उपर हो रहे”
मुझे समानता का अधिकार अपने बच्चे और परिवार का उत्यान चाहिए।
गरीब हूँ मुझे सम्मान चाहिए।
रोज लड़ता हूँ मै अपने आप से नफरत होती है, मुझे मेरे अपमान से ।
गरीब हूँ———-
मुझे भी सम्मान और समानता का अधिकार चाहिए।
मुझे भी थोड़ी सी उन्मुक्त जमीं और खुला आसमान चाहिए।
गरीब हूँ मालिक मुझे भी सम्मान चाहिए।

ज्योति कुमार

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