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गाँठ

आज फिर तुम्हारे झगड़े ने देखो,
कितने अरमान बहा दिए
अभी उन होथो पर हर्ष था,
इस धरा पर उनका निर्मल स्पर्श था|

तेरी लड़ाई ने उन्हे दफ़ना दिया
जिसे बचना था उस लोह को बुझा दिया
तेरे न्याय ने देख आज धरती को रुला दिया
गाँठ को और उलझा दिया|

नादान आखो को हमेशा के लिए सुला दिया
ख्वाबो को पर लगाने थे तुझे,
तेरी लड़ाई ने सोच को मिटा डाला
जिसे बचना था उस लोह को बुझा डाला|

तकदीर बदलना चाहता था मे
जो तूने तकदीर दी उसे ख़तम करना चाहता था मे,
पर तेरी लड़ाई ने मुझे बदल डाला,
तेरी लड़ाई ने मुझे तेरे जैसा बना डाला||

 

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