गुनगुना दे
कोई तराना तू,
सीख ले प्यार को
निभाना तू।
अपने मन को
पहुंचने दे मुझ तक,
दूर से मत मुझे
लुभाना तू।
कोरे कागज में
नाम मत लिखना,
खाली छाया की भांति
मत दिखना।
गर कहीं हो
सजा हुआ मेला
बिन मुहब्बत के मोल
मत बिकना।
गुनगुना दे
कोई तराना तू,
सीख ले प्यार को
निभाना तू।
अपने मन को
पहुंचने दे मुझ तक,
दूर से मत मुझे
लुभाना तू।
कोरे कागज में
नाम मत लिखना,
खाली छाया की भांति
मत दिखना।
गर कहीं हो
सजा हुआ मेला
बिन मुहब्बत के मोल
मत बिकना।