गुनगुना दो कान में Satish Chandra Pandey 3 years ago हो सके तो गीत मेरे तुम वहां जाओ जहां दर्द में हो मित्र मेरा गुनगुना दो कान में। बोल देना तुम ज़रा साहस रखो, हिम्मत रखो अब भुला दो वो भी बातें जो असंभव हो भुलाना।