“गुनाहों की देवी” Pragya 3 years ago अपने गुनाहों को मैं हमेशा छुपा लेती हूँ शर्म आती है तो नजरों को झुका लेती हूँ दीवार पर दिखते हैं कारनामे जब अपने आवेश में आकर मैं दीपक को बुझा देती हूँ ।