Site icon Saavan

गुनाह

जब दिल में दर्द सा उठा
एक तीर सा चुभा,
जो कल था मेरी निगाहों से मारा गया।
आज मेरे ही दिल का कातिल बना।
वो फरेबी भी है, वो आशिक भी है,
मेरी सांसों की गर्मी में शामिल भी है।
रूह को मेरी उसने था एक दिन छुआ,
आज वो ही मेरे दिल का कातिल बना।
ये किस “गुनाह” ⚠️की मुझे मिली है सजा
जो मेरा प्रियतम ही मेरा कातिल बना।

Exit mobile version