अपने जीवन के अमूल्य पल, दुर्गा वोहरा
सूवा की सुश्रुषा में, इन्तिसाब कर
मुमानियत को तोङ, मुल्क के हिफाज़त मे
रही जो तत्पर, मिली क्यूँ उन्हें गुमनाम मौत?
अपने जीवन के अमूल्य पल, दुर्गा वोहरा
सूवा की सुश्रुषा में, इन्तिसाब कर
मुमानियत को तोङ, मुल्क के हिफाज़त मे
रही जो तत्पर, मिली क्यूँ उन्हें गुमनाम मौत?