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गुमराह

मेरे सपने बेशक जरूर बड़े हैं,
पर आसमां छूने की चाह नहीं ।
जमीं पर रह, कुछ ना कर गुजरूं,
इतना भी ‘देव’ गुमराह नहीं ।

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