Site icon Saavan

गुरूर है

देर मिलता है, पर मिलता जरूर है।
किस्मत पे अपने, इतना तो गुरूर है।

खामोशी मेरी, लगने लगी कमजोरी,
रहम दिल हूं, बस इतना कुसूर है।

छत है सर, फिर भी हूं बेघर,
घर जिनके हैं, वो कितने मगरूर हैं।

हैं सब, पर कोई भी नहीं अब,
सोच है मेरी, या मेरा फितूर है।

हर हाल में, करुं ना मलाल मैं,
नफरत से तो ‘देव’ होते सभी दूर हैं।

देवेश साखरे ‘देव’

Exit mobile version