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“गुलदावरी के पुष्प”

❤ गुलदावरी के पुष्प ❤
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गुलदावरी के पुष्प खिलने लगे हैं
हम तुमसे ख्वाबों में मिलने लगे हैं।
तपती हुई धूप में बनकर ठंड का मौसम
देह की मिट्टी पर ओस की बूंदों-से
कुछ ख्वाब बरसने लगे हैं।
यूं तो हम मिले हैं पहले भी पर
ग्रीष्म ऋतु में कुछ अलग ही
एहसास जुड़ने लगे हैं।
कोई शिकायत ना रहे तुम्हें हमसे
इसलिए हम दिन पर दिन
अपनी आदतें बदलने लगे हैं।

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