गुलाबी सर्द रातों में
तुम्हारी याद आती है
तैरते हैं जब सितारे
आसमान की गोद में,
बिछा लेता है चाँद
जब हिमालय पे बिस्तर
और बरस पड़ती हैं
ओस की बूंदें,
तो मन मचलकर करता है तुम्हें याद
हवा में बहता हुआ संदेश
जब तुम्हारे पास पहुंचता है
तो तुम उनींदी आँखों से
वो संदेश पढ़ते हो पर
कोई जवाब नहीं देते!
तो यही गुलाबी सर्दियां
काटने को दौड़ती हैं और
मुझे विरहाग्नि में जलाकर मार देती हैं…