गुड़ पिघल गया था
मीठा सा जल हुआ,
तुमने हमारे हेतु जब
की थी जरा दुआ।
गुड़ थे हम पिघल गए थे
उस प्यार की नमी से,
कोपल बने उगे थे
पत्थर भरी जमीं से।
गुड़ की मिठास देखी
वाणी में आपके
हम तो झुलस गए थे
चाहत की आग से।
गुड़ पिघल गया था
मीठा सा जल हुआ,
तुमने हमारे हेतु जब
की थी जरा दुआ।
गुड़ थे हम पिघल गए थे
उस प्यार की नमी से,
कोपल बने उगे थे
पत्थर भरी जमीं से।
गुड़ की मिठास देखी
वाणी में आपके
हम तो झुलस गए थे
चाहत की आग से।