बेटी होना एक अभिषाप !
मानता है यह आज भी समाज
बेटी तो कुल की लक्ष्मी है
पूजी जाती हर घर में है
बेटी से घर में हो उजियारा
किलकारी से खिलता
आंगन सारा
बेटी करती है सबका सम्मान
परिवार में बसते उसके प्राण
जब जाती है वह ससुराल को अपनी
दुनिया बसाती वहाँ पे अपनी
बेटी तो है दो कुल का सम्मान
बेटी है घर, परिवार का मान…