घायल परिंदा Pragya 3 years ago क्या करना है मुझे यहां ठिकाना बनाकर मन चंचल है लगता है कहाँ एक ही जगह पर बदलकर फिर आऊंगा वेश मैं अपना घायल परिंदा हूँ गिरा हूँ धरा पर फिर उठूंगा, चलूंगा बनाऊंगा आसमां में रास्ता अपना गिरूंगा तो जरूर पर फिर से उड़ूंगा…!!