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घुटन भरी सी जिंदगी

ए जिंदगी तू खूबसूरत है,
मगर औरों के लिए ।

मेरे लिए तो तू; केवल बोझ सी,
बन कर रह गई।

मैंने तुझे जितना भी जिया,
तूने मुझे उतना ही दिया, दर्द!

मैं लड़ाता रहा, खुद को ;
तेरी तकलीफों से ,
तेरे जुल्मों से,

मगर मुझे आजकल
तेरी बहन से ,
प्यार हो गया है ।

जहां तू जिंदगी भर रुलाती है ,
वही वो केवल सुलाती है ,
सदा सदा के लिए!

          ——मोहन सिंह मानुष

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