चन्द अल्फाज़ो में बयां होगी नहीं,
ये कहानी किताबों में जमा होगी नहीं,
यूँही सरेआम हो जायेगी दास्ताँ सारी,
बस दो एक रोज़ में हवा होगी नहीं,
मुहब्बत पुरानी है लम्बी टिकेगी दोस्तों,
ये ज़िन्दगी मुलाकातों में फ़ना होगी नहीं,
बहुत नज़दीक से छूकर देखी हैं आँखें उनकी,
अब ता-उम्र मेरे दिल की दवा होगी नहीं।।
राही (अंजाना)