वो देखते ही नहीं आईना पलटकर यारों,
गर आईने में चित्र की जगह चरित्र उनके दिखाई देते,
और होता ही नहीं जो सामना शमशीर ऐ नज़र से उनकी,
तो जिंदगी के सफ़र में ‘राही’ हम बेमाने दिखाई देते।।
राही (अंजाना)
वो देखते ही नहीं आईना पलटकर यारों,
गर आईने में चित्र की जगह चरित्र उनके दिखाई देते,
और होता ही नहीं जो सामना शमशीर ऐ नज़र से उनकी,
तो जिंदगी के सफ़र में ‘राही’ हम बेमाने दिखाई देते।।
राही (अंजाना)